बस, खाली बैठा था तो सोचा कि कुछ लिख दूँ । आज सप्ताहांत का दिन था कुछ खास नहीं हुआ । एसे ही बीत गया ।
रीडिफ पर पढ रहा था कि लंदन में जो आदमी पुलिस ने मारा था वो कोई आम आदमी ही था । मतलब, लंदन पुलिस भी गलतियाँ करती है । किन्तु यह मेरे लिए बहुत ही आश्चर्यजनक बात है कि आतंकवादियों के हौसले इतने बुलंद हो गये हैं कि वो अब लंदन जैसे सुरक्षित (मुझे लगता है कि लंदन सुरक्षित था ) शहरों में भी खुलेआम विस्फोट करते हैं । हिन्दुस्तान जैसे देश तो आतंकवाद से जूझ ही रहे हैं और आतंकवादी आए दिन कुछ न कुछ गुल खिलाते ही रहते हैं । यदि इन विस्फोटों की प्रतिक्रया ब्रिटेन भी अमेरिका की तरह ही करता है तो उसे पाकिस्तान पर हमला बोल देना चाहिए जैसा अमेरिका ने अफगानिस्तान पर किया था । यह तो साबित हो ही चुका है कि हमलावरों ने पाकिस्तान में जाकर मदरसों मे जिहाद की शिक्षा पाई थी (मुझे पता नहीं इसे शिक्षा क्यों कहा जाना चाहिए) । यदि अमेरिका और अन्य देश आतंकवाद को जङ से खतम करना चाहते हैं तो उन्हें पाकिस्तान पर लगाम कसनी ही होगी । पाकिस्तानी मदरसों का आतंकवाद फैलाने में बङा हाथ हो सकता है ।
किन्तु अमेरिका हमेशा से ही दोहरी नीति करता आया है । वो एशिया में अपनी पैठ बनाने के लिए पाकिस्तान की जमीन चाहता है । और इसीलिए वो हमेशा से पाकिस्तान का हिमायती रहा है ।
Saturday, July 23, 2005
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1 comment:
अब आया है ऊँट पहाड के नीचे । कुछेक विस्फोट और हो गये तो भारत के मजे लेना भूल जायेंगे ।
भाई साहब हिन्दी के पन्नों और ब्लागों की लिंक-सूची के लिये यहाँ जायें :
http://pratibhaas.blogspot.com/2005/07/links-to-hindi-resources-on-web.html
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