Saturday, July 23, 2005

चिठ्ठा

संकेत साहब ,

हमारे चिठ्ठे को बहुत लोगों ने पढा है । कई लोगों ने तो टिप्पणी भी की है । देख कर अच्छा लगा। मुझे समझ यह नहीं आया कि लोगों को हमारे चिठ्ठे के बारे में पता कैसे चला?

मैं दूसरे लोगों के चिठ्ठे कैसे पढ सकता हूँ? क्या कहीं पर चिठ्ठे वर्गीकृत करके जाल पर रखे गये हैं?

अमित

4 comments:

Sanket said...

अमित भाई,

सही कहा आपने कि, बहुत दोस्तों ने लिखा है और उत्साहित भी किया है। पता कैसे चला? भाई - "बात निकलेगी तो दूर तलक जायेगी, चिट्ठे की सुगंध ब्रज तक पहूँच जायेगी"। मैने अपने छोटे से दिमाग को खखोरा (रामजस (www.ramjascollege.edu) की भाषा में एक मतलब है इसका, चाहो तो बता सकता हूँ, पैसे लगेंगे?), और गूगल में प्रस्तुत कर दिया। यह ज्यादा समय ले सकता है, यह जानकर मैने आपने अन्तरजाल से कङी स्थापित कर दी, जिसको गूगल मजे से पकङ रहा था। शायद कूछ दिन में गूगल और बाकी खोजी जाल पकङ पायेंगे हमारे चिट्ठे को। साथ में पाठकगणों ने भी आपस में बताया होगा।

बहुत सारे चिट्ठे कङी से कङी जोङकर देखे जा सकते हैं, कुछ यहाँ (www.akshargram.com) पर हैं, और कुछ पाठकों के अपने मुख्य स्थान (profile) से देखे जा सकते हैं।

अनूप शुक्ल said...

हिंदी के सारे चिट्ठे चिट्ठाविश्व में वर्गीकृत हैं।

debashish said...

बात हैरानी की तो नहीं होनी चाहिये! आपने वेबरिंग के लिये आवेदन किया, अपने जालस्थल की नीचे की पट्टी देखें, जहाँ से मुझे खबर लगी, वहाँ से पहूंची चिट्ठाविश्व और फिर बात हो गई जंगल की आग। एक और बात आपकी "प्रतिक्रिया प्रेषित करें" की कड़ी काम नहीं कर रही, मुझे अंदाज़ है कि आपने "सर्वज्ञ" से यह कोड प्राप्त किया है, तो उसमें blogID=XXXXXXX को blogID=14544917 से बदलना होगा, जो कि संभवतःआपकी blogID है। :)

आलोक said...

संगणक/अन्तर्जाल/जाल पर/चिट्ठे