यह मेरा पहला चिठ्ठा है । अभी तो मैं चिठ्ठाकारी के बारे में कुछ जानता भी नहीं हूँ । मुझे पहले तो बहुत संकोच हुआ लेकिन फिर सोचा एक ना एक दिन तो संकोच दूर करना ही होगा । मुझे इसके लिए संकेत जी को धन्यवाद देना चाहिए जिन्होने मुझे इसके लिए प्रेरित किया । चीनी भाषा में एक कहावत है, १००० मील की यात्रा भी पहले कदम से ही शुरू होती है । तो इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैं इस चिठ्ठा संसार में कदम रखता हूँ । यह केवल एक प्रयोग है देखना चाहता हूँ कि यह जाल पर कैसे पोस्ट होता है और फिर कैसा लगता है?
अमित
Thursday, July 21, 2005
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8 comments:
अमित जी, स्वागत है आपका-- इस चिट्ठे की एक और एक गयारह करना है
अच्छा लग रहा है। और अच्छा लगेगा यदि आप दोनों लोग नियमित लिखते रहेंगे। शुरुआत करने के लिये बधाई। आगे के लिये शुभकामनायें।
जनाब ब्रजवासी लिखें, लिखते रहें और मित्रों को भी प्रेरित करें. ऐसे ही हिन्दी समृद्ध होगी इंटरनेट पर.
ब्लॉग-कामनाएँ
जनाब ब्रजवासी लिखें, लिखते रहें और मित्रों को भी प्रेरित करें. ऐसे ही हिन्दी समृद्ध होगी इंटरनेट पर.
ब्लॉग-कामनाएँ
अनूप जी, आपकी प्ररेणा, बधाई और शुभकामनाऒ के लिये हार्दिक धन्यवाद। मैं अभी नया हूँ चिट्ठा संसार में, आशा है, आगे सहायता और प्रोत्साहन मिलता रहेगा। आपकी फुरसतिया पढी, बङा अच्छा लगा, सीधे साधे शब्दों में संस्मरण लिखना कोई आप से सीखे --- लगा जैसे मैं खुद ही, १६००० किलोमीटर दूर कानपुर स्टेशन पर पहुँच गया हूँ।
रवि जी,
आपके पत्र के लिये धन्यवाद, हिन्दी के बचपन से प्रशंसक हूँ। चिट्ठों के बारे मैं काफी देर से पता चला, और अब जब पता चल ही गया है तो, बस मेरी गाङी शुरू।
आपकी, पाठकों की नब्ज कपङने की कला सीखना चाहूँगा- व्यंगय और समसामायिक बातों को आधारभूत तरीके से रखना एक बहुत जरूरी बात है, और यह बात आपके पत्रों को पढकर स्पष्ट होती है।
अमित जी, स्वागत है इस चिट्ठा जगत पर, उम्मीद है कि आप नियमित लिखते रहेंगे। शुभकामनाओं सहित,
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